‘’चौकी इंचार्ज शिरोमणि तिवारी जी मुझे जाति सूचक माँ-बहन की भद्दी-भद्दी गालिया देते हुए, मेरा सिर दीवाल में लड़ाते हुए बोले अगर अब कही शिकायत की तो तुम लोगो पर गैंगेस्टर लगा दूंगा’’

    मेरा नाम रमेश सोनकर है| मेरी उम्र 50 वर्ष है| मेरे पिता स्व० मिता है| मै अशिक्षित हूँ | मेरे दो बेटे आकाश और विकास जो शिक्षा ले रहे है| मै खेती गृहस्थी का काम करता हूँ| उसी से परिवार का जीवन यापन होता है| मै ग्राम भलेहटा प्रभुपुर चहनिया, थाना-बलुआ, जिला-चंदौली का मूल निवासी हूँ |

    मुझे नही मालूम था कि अपना हक मागने पर इतनी बड़ी सजा मिलेगी|मेरे भाई रामसेवक का घर मेरे खेत के पास है जिसमें वह नाबदान का पानी गिरा रहे थे |मैने इसके लिए उनको कई बार मना किया लेकिन वह नही माने | 23 नवम्बर 2022 को हम लोगो ने मना किया तो वह भद्दी-भद्दी गालिया देकर मेरी पत्नी को मारने के लिए चढ़ गये| उनके छोटे बेटे देवनाथ का मोटरसाईकिल से एक्सीडेंट हुआ था| उन लोगो का कहना था ज्यादा बोलोगे तो मेडिकल बनवाकर तुम्हे झूठे केस में फसा देंगे| उनकी इस धमकी से भयभीत होकर थक हार कर मै थाने में जाकर प्रार्थना पत्र दिया साहब यह लोग पिता की जमीन पर हिस्सा नही दे रहे है जो हमने आठ विस्वा खेत रजिस्ट्री करवाई है उस पर भी वह गंदा पानी बहा रहे है| मुझे थाने में बोला गया आप मोहरगंज चौकी जाइये|

    मै चौकी जाकर चौकी इंचार्ज शिरोमणि तिवारी जी से अपनी गुहार लगायी तो उन्होंने कहा 10,000 हजार रुपये दे दो सब मामला ठीक कर देंगे| मैंने कहा साहब हमारे पास इतना पैसा नही है| इस पर चौकी इंचार्ज ने कहा हम कुछ नही कर सकते | मै मायूस होकर वापस चला आया| थाने चौकी पर कोई सुनवाई न होने पर मैंने उच्च अधिकारियो के यहा प्रार्थना पत्र जाकर दिया|

    19 दिसम्बर 2022 की तारीख थी| मैंने अपने भाई प्यारे से कहा की पिताजी की पांच विस्वा जमीन पर सवा विस्वा का हकदार मै भी हूँ| मुझे भी बुआई जुताई करने दे इस पर वह राजी नही हुए मुझसे उलझने लगे उस वक्त सुबह के तकरीबन नौ-दस बज रहे थे| बात अधिक न बढ़ जाये| मैंने 112 न० पुलिस को फोन किया पुलिस आयी दोनों पक्ष को चौकी पर ले जाने लगी | मैंने कहा साहब हम चौकी पर नही जायेंगे चौकी इंचार्ज साहब ने हमारी सुनवाई नही की है | इस पर 112 न० की पुलिस हमे थाने ले गयी| थाने में हम लोगो को बिठा लिया गया| कुछ देर बाद मेरे भाई प्यारे को पुलिस ने छोड़ दिया| मुझे और मेरे भतीजा संजय सोनकर को नही छोड़ा|

    तकरीबन छ: और सात के बीच में चौकी इंचार्ज शिरोमणि तिवारी जी थाने आये| आते ही वह मुझे जाति सूचक माँ-बहन की भद्दी-भद्दी गालिया देते हुए बोले साले खटिक ज्यादा होशियार बनते हो ‘’यह कहते हुए अपने बूट से बुरी तरह पुरे बदन पर मारने लगे’’| मैने कहा साहब हमारी गलती क्या है| तभी वह मेरा सिर दीवाल में लड़ाते हुए बोले अगर अब कही शिकायत की तो तुम लोगो पर गैंगेस्टर लगा दूंगा| तुम लोगो की जिन्दगी बर्बाद हो जायेगी|

यह धमकी देते हुए चौकी इंचार्ज साहब चले गये | मुझे उसी हालत में हवालात में डाल दिया गया| रात भर मै दर्द से कहर रहा था| मुझे इस बात का अफ़सोस हो रहा था कि मैंने ऐसा क्या कर दिया जो इतनी बड़ी सजा मुझे मिल रही है| रात किसी तरह गुजरा घर वालो की बहुत याद आ रही थी| आज भी उस इन को याद करता हूँ| तो बहुत तकलीफ होती है| दुसरे दिन तकरीबन 1:00 बजे IPC की धारा 107,116 में चालान कर दिया गया | सिर में ज्यादा चोट आयी है अजीब सी उलझन रहती है हर वक्त लगता है उल्टी आ रही है| डा० विवेक शर्मा का ईलाज कर रहा हूँ | सही तरीके से बोल नही पा रहा हूँ|

हर वक्त डर बना हुआ है| दुबारा शासन और प्रशासन से मदद मांगी है| अभी तक कोई सुनवाई नही हुई है| जिस वजह से हर वक्त एक अनहोनी का डर सा बना है| बच्चो के भविष्य की फ़िक्र लगी रहती है| चौकी इंचार्ज साहब की धमकी की वजह से रात भर सो नही पाता| मन में बुरे-बुरे ख्याल आते है| कही आता जाता हूँ तो बस यही फ़िक्र लगी रहती है की मेरे और परिवार के साथ कुछ बुरा न हो |

     एक सज्जन इन्सान ने मानवाधिकार जन निगरानी के बारे में बताया बोला आप जाइये आपको वहा से मदद मिलेगी | एक उम्मीद से आया हूँ| आप लोगो से अपनी बात बताकर हल्का महसूस कर रहा हूँ|

    मै चाहता हूँ की चौकी इंचार्ज ने मेरे साथ जो बदसलूकी कर मुझे मानसिक और शारीरिक तौर पर नुकसान पहुचाया है और मुझ पर गम्भीर धाराओ में मुकदमा करने की धमकी दी है| उन पर क़ानूनी कार्यवाही हो| जिससे मुझे न्याय और सुरक्षा मिल सके|

                                                                      रमेश सोनकर

Comments

Popular posts from this blog

Defending Truth Under Fire: The Case of Yambem Laba, NHRC’s Intervention, and the Ongoing Battle for Human Rights in Manipur

“The Station House Officer said: ‘We will not let your son become an MBBS doctor.’”

Towards a Torture-Free Society: A Call for Justice, Humanity, and Reform